सखि,
आज तो बहुत सी बातें हैं तुम्हें बताने के लिए। मगर तुम्हारा ध्यान पता नहीं कहां रहता है ? अरे, पता चल गया । गपशप से फुरसत मिले तुम्हें तो मुझ पर ध्यान दे पाओगी ना ? आजकल सहेलियों से बहुत बातें करने लगी हो । एक तो सडेली गरमी ऊपर से तुम भी इगनोर मार रही हो । सच में , मर जाऐंगे हम ।
सखि, आज मुझे "स्टोरी मिरर" ने "ऑथर ऑफ द वीक" मई 2 घोषित किया है । लेखकों को अपने एप पर जोड़े रखने का ये अच्छा तरीका है। इससे लेखकगण खुश हो जाते हैं । तो चलो हम भी खुशी मना लेते हैं । आइसक्रीम खिला देते हैं तुम्हें इस बात पर । अब तो खुश हो न ?
तुम्हें पता है क्या सखि, कि जब श्रीकृष्ण भगवान पाण्डवों के दूत बनकर कौरवों की सभा में गये थे और युद्ध टालने के लिए केवल पांच गांव देने के लिए कह दिया था । मगर अभिमानी दुर्योधन ने सुंई की नोक के बराबर भी जमीन देने से इंकार कर दिया था । नतीजा क्या निकला ? पूरी सेना के साथ पूरा वंश समाप्त हो गया था कौरवों का । अगर वो पांच गांव दे देता तो यह दिन नहीं देखना पड़ता । इसीलिए तो कहते हैं कि अभिमानी का सिर नीचा । जिसने समय की नब्ज नहीं पहचानी, उसने मुंह की खाई है । वक्त की दीवार पे अमिट ये लिखाई है ।
इस देश पर मुगल आक्रांताओं ने सैकड़ों साल तक राज किया । बहुसंख्यक समुदाय को गुलामों की तरह ट्रीट किया । मंदिर तोड़ दिये । लोगों को जबरन धर्म बदलने पर विवश किया । ऐसा बताते हैं कि लगभग तीन लाख मंदिर तोड़े गये । इतना अपमान सहकर भी हिन्दू खामोश रहा ।
आजादी के बाद हिन्दुओं ने एक संस्था विश्व हिन्दू परिषद बनाई । परिषद ने मुसलमानों से बात की कि "हम तीन लाख मंदिर की बात नहीं कर रहे हैं हम केवल तीन मंदिर की बात कर रहे हैं । और ये तीन मंदिर हैं अयोध्या , मथुरा और काशी । आप लोग बहुत कहते हैं कि गंगा जमनी तहजीब से देश महकता रहे । तो आप गंगा जमनी तहजीब का नजारा दिखाओ । थोड़ा बड़ा दिल दिखाओ और ये तीन मंदिर हमें सौंप दो । बाकी पर हम अपना दावा नहीं करेंगे" ।
लेकिन यहां पर भी वही अभिमान आड़े आ गया । उस समुदाय की सोच थी कि वह तो यहां शासक रहा है इन "गुलामों" की बात क्यों मानें ? उन्होंने बिल्कुल वैसा ही व्यवहार किया जैसा दुर्योधन ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ किया था । अब हिंदू समाज को अपना विराट रूप दिखाना था । मगर उसने ऐसा नहीं किया । क्यों ?
क्योंकि सरकार ऐसी थी जिसने तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ रखा था । इस चोले के अन्तर्गत हिन्दुओं का मान मर्दन मुगलिया काल की तरह बदस्तूर जारी रहा । हिंदुओं का तिलक लगाना भी अभिशाप बना दिया गया । इसमें हिन्दू धर्म के बहुत से जयचंद शामिल थे । उनको सब कोई जानता है , यहां नाम लिखने की जरूरत नहीं है । कुछ नेता, अफसर, जज, वकील, बुद्धिजीवी, कलाकार वगैरह इस षड्यंत्र में शामिल थे और अभी भी हैं । उन्होंने हिंदुओं को शेर के बच्चे से मेमना बना दिया । मिमियाने के अलावा और कोई काम नही था हिंदुओं के पास । वो बेचारा मेमना बनकर जिंदा रहा ।
समय सबका बदलता है । हिंदुओं का भी बदला । देश का शासक बदला तो देश का परिदृश्य भी बदलना शुरू हुआ । सबसे पहला काम जो "उसने" किया वह था "जालीदार टोपी" को ना कहना । इस देश में तिलक लगाना अपराध था और जालीदार टोपी सेकुलरिज्म का प्रतीक । इस एक घटना ने हिंदुओं को मेमने से वापस शेर बना दिया । अब हिंदू ने अपना "विराट रूप" दिखाना शुरू किया तो देश बदलता चला गया । कभी सरकारी शान समझी जाने वाली इफ्तार पार्टियां बंद हो गई। सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया । जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म हो गई । इस देश के ऐसे लोग जो राग पाकिस्तान गाया करते थे उनके गले बंध गए क्योंकि जिस देश को वे अपना आका समझते थे वह तो भिखारी हो चुका था । जिसके पास खुद के खाने के लाले पड़े हों , वह किसी और को क्या खिलायेगा ? जो लोग 500 , 500 रुपए में पाकिस्तान का झंडा लहराते थे, उनके पिछवाड़े पर लात पड़नी शुरू हुई तो वे लोग आगे और पीछे दोनों जगहों से हगने लगे । अब चूंकि शेर जाग गया है और उसने दहाड़ना शुरू कर दिया है तो अब यह क्या क्या करेगा इसका कोई अंदाज भी नहीं लगा लगता है ।
अभी कल परसों ही काशी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर न्यायालय का फैसला आया है और कोर्ट ने पूरे परिसर का न केवल सर्वे करने का हुक्म सुनाया बल्कि वीडियोग्राफी भी करने का आदेश दे दिया । अब इससे सब कुछ साफ साफ दिखाई देने लगा है । थोड़े दिन इंतजार करो फिर काशी भी अपनी, मथुरा भी अपना । इनके अलावा और क्या क्या अपना होगा किसे पता है ? पर एक बात जरूर कहूंगा "सब्र का फल मीठा होता है" ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
13.5.22
Seema Priyadarshini sahay
14-May-2022 06:36 PM
👌👌
Reply
Anam ansari
14-May-2022 09:26 AM
Nice
Reply
Haaya meer
13-May-2022 10:08 PM
Amazing
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
14-May-2022 03:27 AM
🙏🙏
Reply